अयोध्या का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की तारीफ की, कहा- उनकी दलीलों ने सत्य और न्याय तक पहुंचाने में मदद की

नई दिल्ली (एजेंसी) | सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या मामले में फैसला सुनाते समय पैरवी करने वाले वकीलों की तारीफ की। अदालत ने हिंदू पक्ष के वकील और पूर्व अटार्नी जनरल के परासरन (92), वकील सीएस वैद्यनाथन के साथ मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को फैसला लिखने में मददगार बताया। अदालत ने कहा- वकीलों की तार्किक बहस से जटिल मुद्दे को समझने में मदद मिली और 1045 पन्नों का फैसला लिखा जा सका।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने कहा, “हम बहस की अगुवाई करने वाले के परासरन और राजीव धवन के प्रयासों की सराहना करते हैं। काम के प्रति उनकी ईमानदारी और अदालत में अपने पक्ष में उनकी स्पष्ट दलीलों ने अदालत की सुनवाई को जीवंत बनाए रखा। उनकी वजह से ही सभी पक्ष सत्य और न्याय की खोज में शामिल हुए।”

सबरीमला मंदिर मामले में परासरन ने पैरवी की

परासरन ने सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर भी अदालत की मदद की थी। वह 1983 से 1989 के बीच इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान अटार्नी जनरल रह चुके हैं। उन्हें 2003 में पद्म भूषण और 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

मुस्लिम पक्ष के वकील धवन की प्रशंसा

कोर्ट ने कहा कि संवेदनशील मामले में हम मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की मदद की प्रशंसा करते हैं। 74 साल के धवन ने 11 दिसंबर 2017 को केंद्र और दिल्ली सरकार के केस की पैरवी के दौरान हुए वाकये को ‘अपमानजनक’ बताते हुए वकालत छोड़ दी थी। अयोध्या केस में मुस्लिम पक्ष की पैरवी करने वाले एक वकील के अनुरोध पर धवन ने केस लड़ना स्वीकार किया था।

अदालत ने सभी वकीलों को सहायता के लिए धन्यवाद दिया

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के साथ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने अलग-अलग पक्षकारों की तरफ से केस में शामिल वकील एसके जैन, रंजीत कुमार, जफरयाब जिलानी, मीनाक्षी अरोरा, शेखर नाफडे, विकास सिंह और पीएस नरसिम्हा को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

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