रायपुर (एजेंसी) | छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार और केंद्र के बीच धान खरीदी को लेकर चल रही सियासत अब और भी गरमाती जा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के बाद अब प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भी केंद्र सरकार को आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी दे दी है। मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा, अगर किसानों का धान केंद्र ने नहीं खरीदा तो हम कोयले का डिस्पैच बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि कोरबा से कोयला का सबसे ज्यादा डिस्पैच किया जाता है। कोरबा में देश के 11 % कोयले का उत्पादन होता है।
केंद्र ने कहा- तय मूल्य से अधिक में धान खरीदी तो नहीं मिलेगा बोनस
दरअसल, छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने किसानों को धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए देने का वादा किया था, लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। केंद्र सरकार ने शर्त रख दी है कि उसकी ओर से तय किए गए मूल्य से अधिक में धान की खरीदी की गई, तो बोनस की राशि नहीं दी जाएगी। वहीं राज्य सरकार धान की 2500 रुपए से कम कीमत करने को लेकर तैयार नहीं है। साथ ही प्रदेश सरकार सेंट्रल पूल से चावल लेने का दबाव भी केंद्र सरकार पर बना रही है। इसकाे लेकर प्रदेश अौर केंद्र सरकार के बीच कई दिनों से खींचतान चल रही है।
एक दिन पहले ही पीसीसी चीफ ने दी थी आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने इससे ठीक एक दिन पहले गुरुवार को ही केंद्र सरकार को आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी दी थी। केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन को लेकर हुई बैठक में पीसीसी चीफ ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छत्तीसगढ़ का लौह अयस्क पसंद है, यहां के खनिज संसाधन पसंद हैं, लेकिन धान नहीं पसंद है। इसलिए जरूरत पड़ी तो राज्य में आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। उन्होंने संकेत भी दिए थे कि धान नहीं खरीदने पर केंद्र को हीरे और बॉक्साइट समेत छत्तीसगढ़ से जाने वाले अन्य संसाधनों की आपूर्ति भी बंद की जा सकती है।
राज्य सरकार के खर्च का आधा हिस्सा देता है केंद्र, आर्थिक नाकेबंदी से प्रदेश को नुकसान
राज्य सरकार और कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी व धमकी को अगर अमल में लाया जाता है तो इसका खामियाजा प्रदेश को ज्यादा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, 10 माह के दौरान प्रदेश की कांग्रेस सरकार कई बार आर्थिक स्थिति में सुधार की बात कर चुकी है। नई सरकार के गठन के बाद से ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। राज्य की योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार को कई बार कर्ज लेना पड़ा है। इन सबके बीच प्रदेश सरकार का करीब एक लाख करोड़ का बजट है। इसमें से करीब 45 फीसदी राजस्व केंद्रीय प्राप्तियों का अंश है।