बीजापुर (एजेंसी) | छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित तत्कालीन अधिकारी व अन्य जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण बासागुड़ा थाने के बाहर एकत्र हो गए हैं। यह ग्रामीण सारकेगुड़ा फर्जी मुठभेड़ मामले में इन सभी के ऊपर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण थाने के बाहर ही धरने पर बैठ गए हैं और भजन गा रहे हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि शासन से निर्देश मिलने के बाद ही इस संबंध में आगे कार्रवाई होगी।
पुलिस बोली शासन से निर्देश के बाद ही आगे कार्रवाई
सारकेगुड़ा मुठभेड़ मामले में ग्रामीण लगातार कार्रवाई की मांग रहे हैं। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आने के बाद अब ग्रामीण शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार और सोनी सोढ़ी के साथ सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण बासागुड़ा थाने पहुंच गए। वहां पर ग्रामीण तात्कालीन सीएम रमन सिंह, आईबी चीफ, बस्तर आईजी, बीजापुर एसपी समेत 190 जवानों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करने लगे। इस पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद ग्रामीण भड़क गए और थाने के बाहर ही हंगामा शुरू कर दिया।
इस पर पुलिसकर्मियों ने समझाया तो ग्रामीणों ने थाने के बाहर धरना देना शुरू कर दिया। इसके बाद भी उनकी मांगे नहीं सुनी गईं तो ग्रामीणों ने वहीं ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन गाना शुरू कर दिया है। इस बीच दिल्ली से आए सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार और सोनी सोरी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए अभी एफआईआर दर्ज करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं एसडीओपी विनोद मिंज का कहना है कि मामले में शासन को पत्र भेजा जाएगा, जो निर्णय आएगा उसके बाद एफआईआर दर्ज करेंगे।
रमन सिंह बोले- इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए
इधर, थाने में एफआईआर दर्ज कराने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि न्यायिक जांच आयोग की अनुशंसा के आधार पर सरकार को कार्रवाई करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार में रहने हुए हमने ही न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आ गई है। आयोग ने जो अनुशंसाएं की हैं, अब सरकार को इनके मुताबिक कार्यवाही करना चाहिए।
आयोग की रिपोर्ट में मारे गए लोगों को बताया है आदिवासी
दरअसल, बीजापुर के सारकेगुड़ा में जून 2012 को जवानों ने फायरिंग की थी। इस फायरिंग को मुठभेड़ बताते हुए 17 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था। हालांकि ग्रामीण इसका लगातार विरोध कर रहे थे और मारे जाने वाले लोगों को आदिवासी बता रहे थे। इसको देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया। इस आयोग ने अब नवंबर में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मारे गए लोग नक्सली नहीं, बल्कि आदिवासी थे।