रायपुर (एजेंसी) | छत्तीसगढ़ के जंगलों से जुड़े दो अहम फैसले सरकार ने रविवार को किए। अब गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। इसके अलावा जंगल में मिलने वाली जड़ी बूटियों से इलाज को बढ़ावा देने ट्रेडिशनल मेडिसिन बोर्ड की घोषणा भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की। रायपुर में आयोजित राज्य वन्य जीव बोर्ड की 11वीं बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई। वर्तमान में प्रदेश में तीन अचानकमार टाइगर रिजर्व, उदन्ती-सीतानदी टाइगर रिजर्व और इन्द्रावती टाइगर रिजर्व हैं। नए रिजर्व को मिलाकर अब प्रदेश में चार टाइगर रिजर्व हो जाएंगे। साथ ही लेमरू हाथी रिजर्व गठन की अधिसूचना जारी होने की जानकारी भी इस बैठक में दी गई।
जंगलों में होगा बीजों का छिड़काव
मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रदेश के जंगलों में वन्य प्राणियों के लिए जल स्रोतों को विकसित करने और फलदार और सब्जी के, नारवाली सब्जियों के बीजों का छिड़काव करने, बांस, केला के प्लांटेशन के निर्देश दिए ताकि वन्य प्राणियों को भोजन तथा चारा के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के परंपरागत वैद्यों के ज्ञान को लिपिबद्ध करने, जड़ी बूटियों के संरक्षण- संवर्धन तथा वैद्यों के ज्ञान का लाभ पूरे समाज तक पहुंचाना भी जरुरी है। इसलिए सरकार ने ट्रेडीशनल मेडिसिन बोर्ड के गठन का फैसला लिया है।
यह बोर्ड वैद्यों के ज्ञान का दस्तावेजीकरण, लिपिबद्ध करने का कार्य करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हजारों वर्षों से वैद्य द्वारा जड़ी-बूटियों से परंपरागत ढ़ग से इलाज किया जा रहा है, लेकिन यह परंपरा आज पिछड़ गई है, क्योंकि हमने अपने ज्ञान का दस्तावेजीकरण नहीं किया और ज्ञान बांटा नहीं । वैद्य के साथ ही उनका ज्ञान भी समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ वन संपदा से परिपूर्ण है। राज्य सरकार का यह भी प्रयास है कि लोगों को जड़ी बूटियों का सही मूल्य मिले । सीएम ने कहा कि जिस तरह से एलोपैथिक डॉक्टर एमबीबीएस के बाद मेडिसिन में एमडी या सर्जरी में एमएस कर विशेषज्ञता हासिल करते हैं, उसी तरह कौन से वैद्य किस विशेष बीमारी का इलाज करने में दक्ष है, यह जानकारी भी ली जाएगी।