सरकार का फैसला: मदनवाड़ा नक्सली हमले की न्यायिक जांच होगी, 11 साल पहले एसपी समेत 29 जवान शहीद हुए थे

राजनांदगांव | जिले में 12 जुलाई सन 2009 में मदनवाड़ा में हुए नक्सली हमले की जांच होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने रविवार को जस्टिस शम्भूनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया है। जस्टिस शंभूनाथ श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ में प्रमुख लोकायुक्त रह चुके हैं। इस फैसले के बाद प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा- हमले में एसपी वीके चौबे समेत 29 पुलिस कर्मियों की शहादत के मामले में साजिश उजागर होनी चाहिए।

सितंबर 2019 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर में शहीद विनोद चौबे की प्रतिमा के अनावरण के दौरान इसकी घोषणा की थी। इस कार्यक्रम में शहीद आईपीएस विनोद कुमार चौबे की पत्नी रंजना चौबे और कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री को जांच की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा था। 11 सालों में थाना स्तर और विभागीय स्तर पर ही इस घटना की जांच की गई थी, जिसमें इसे नक्सली घटना बताया गया। घटना के समय प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। विपक्ष में रहते हुए खुद भूपेश बघेल ने घटना की न्यायिक या सीबीआई जांच की मांग सरकार से की थी। उन्होंने एसपी की मौत पर साजिश का संदेह का जाहिर किया था।

11 साल नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया था

राजनांदगांव शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर मानपुर का मदनवाड़ा क्षेत्र है। यहां पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी आकर नक्सली घटनाओं को अंजाम देते हैं। 12 जुलाई 2009 को नक्सलियों ने दो जवानों को गोली मार दी थी। सूचना पर एसपी चौबे पुलिस बल के साथ मौके पर रवाना हुए। रास्ते में कोरकोट्‌टी में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया। इससे पुलिस वाहन अनियंत्रित हो गया। मौका देख नक्सलियों ने सड़क के दोनों ओर से गोलियां चलाना शुरू कर दी। हमले में एसपी चौबे समेत 29 जवान शहीद हो गए थे। यह नक्सलियों का सुनियोजित हमला माना जाता है।

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