पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में मांगी मुश्किलों के लिए माफी, कहा कोई और विकल्प नहीं था

नई दिल्ली  : कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह 11 बजे अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया । इस बार कार्यक्रम में उन्होंने कोविड-19 की वजह से देश में उपजी परिस्थितियों को लेकर अपनी बात रखी है।

उन्होंने  देशवासियों को हुई असुविधा, कठिनाई के लिए माफी मांगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपकी दिक्कतें समझता हूं लेकिन भारत को इस वायरस से जीतने के लिए ये कदम उठाने जरूरी थे। प्रधानमंत्री ने कुछ डॉक्टरों से भी बात की और उनकी सराहना की। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मचारियों को रीयल लाइफ हीरो बताया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने उन कोरोना संदिग्धों और पीड़ितों के साथ लोगों द्वारा किए जाने वाले भेदभाद पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि हमें ससामाजिक दूरी को कम करना है और भावनात्मक दूरी को घटाना है।

प्रमुख बाते 
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘आमतौर पर मैं मन की बात में कई विषयों को ले करके आता हूं। लेकिन आज देश के मन में सिर्फ एक ही बात है- ‘कोरोना वैश्विक महामारी’ से आया हुआ भयंकर संकट, ऐसे में मैं कुछ और कहूं वो उचित नहीं होगा। हो सकता है, बहुत से लोग मुझसे नाराज होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है। मैं आपकी दिक्कतें समझता हूं, लेकिन भारत को, कोरोना के खिलाफ जीतने के लिए, ये कदम उठाए बिना कोई रास्ता नहीं था। मैं फिर एक बार, आपको जो भी असुविधा हुई है, कठिनाई हुई है, इसके लिए क्षमा मांगता हूं।’
कोरोना वायरस से लड़ने का कारगर तरीका सामाजिक दूरी है। हमें समझना होगा कि सामाजिक दूरी का मतलब सामाजिक संपर्क खत्म करना नहीं बल्कि ये समय सामाजिक दूरी को बढ़ाने और भावनात्मक दूरी घटाने का है।
मैं जानता हूं कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अभी भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे। अगर आप 21 दिनों के लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो वायरस से बचना मुश्किल होगा।
दुनिया का अनुभव बताता है कि इस बीमारी से संक्रमित व्यक्तियों कि संख्या अचानक बढती है। अचानक होने वाली इस वृद्धि की वजह से विदेशों में हमने अच्छे से अच्छे स्वास्थ्य सेवा को जवाब देते हुए देखा है। साथियों, हम मेडिकल स्तर पर इस महामारी से कैसे निपट रहे हैं इसके अनुभव जानने के लिए मैंने कुछ डाक्टरों से बात की जो इस लड़ाई में पहली पंक्ति में मोर्चा संभाले हुए हैं। रोजमर्रा की उनकी गतिविधि इन्हीं मरीजों के साथ पड़ती है।
कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है। ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है, न ही कोई क्षेत्र देखता है और न ही कोई मौसम इसलिए लोगों को, इसे खत्म करने के लिए एकजुट होकर संकल्प लेना होगा।
कोरोना वायरस के खिलाफ ये युद्ध अभूतपूर्व और चुनौतीपूर्ण है। इस दौरान लिए जा रहे फैसले ऐसे है, जो दुनिया के इतिहास में कभी देखने और सुनने को नहीं मिले। इसे रोकने के लिए जो प्रयास हो रहे हैं वही भारत को इस महामारी पर जीत दिलाएंगे।
‘मन की बात’ के लिए, फिर, अगले महीने मिलेगें और तब तक इस संकटों को मात करने में हम सफल हो भी जाएं, इसी एक कल्पना के साथ, इसी एक शुभकामना के साथ, आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद।

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