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हमारे लोगो की कहानी | Story Behind Our Logo

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आपका न्यूज़ लोगो से छत्तीसगढ़ की एक झलक दर्शाने की कोशिश की गयी है । लोगो को छत्तीसगढ़ की परंपरा, संस्कृति, लोक जीवन, अर्थव्यवस्था के आधार तथा राज्य के प्रतीक को शामिल करने की अवधारणा के साथ बनाया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य मे देश के किसी भी क्षेत्र की तुलना मे धान की सर्वाधिक प्रजातियां पायी जाती हैं। यह एक धान उत्पादक और चावल उपभोगी राज्य है। यहां की संस्कृति धान और चावल पर संधारित है।  जीवन संस्कार के विविध सोपानों और अर्थ व्यवस्था मे धान और चावल की  प्रमुखता है।

यही कारण है कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। छत्तीसगढ़ी संस्कृति में धान ही धन है। यहाँ की कलात्मक अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों में धान तथा धान के पौधे के वभिन्न अंगों का  प्रयोग यही दर्शाता है कि यहाँ की कला और धान एक दूसरे पर अन्योन्याश्रित हैं।

लोगो के मध्य में धान से बनायीं हुई एक पारंपरिक रंगोली (झुटी) है। आठ दिशात्मक फ्री हैंड ट्रेडिशनल रंगोली न्यूज़ की फ्लो तथा ज्वाइनिंग पॉइंट न्यूज की स्क्रीनिंग दर्शाती है।

रंगोली के केंद्र में पहाड़ी मैना (राज्य पक्षी) का पंख लेखन का प्रतीक है।

4  पंखो वाला साल (राज्य वृक्ष )बीज चारो दिशाओ को दर्शाता है।

रंगोली के बाईं ओर पोला बैल है। पोला त्योहार छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति की गहराई से जुड़ा हुआ है। यह आम तौर पर एक पारंपरिक गाँव का त्यौहार होता है, जहाँ वे उन बैलों के प्रति सम्मान दिखाते हैं जो उनकी जुताई गतिविधियों में उनकी मदद करते हैं।

अगस्त माह में खेती का काम समाप्त होने के बाद मेहनती बैल तथा जाता पोरा की पूजा की जाती है तथा अच्छी फसल और घर को धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए प्रार्थना की जाती है। राज्य का  यह त्यौहार हमारे जीवन में खेती-किसानी और पशुधन का महत्व बताता है। इस दिन बैल दौड़ का भी आयोजन किया जाता है।  बैलों का श्रृंगार किया जाता है और इस दिन में बैलो से कोई काम भी नहीं कराया जाता है। घरों में प्रतिमान स्वरूप मिट्टी के बैलों और बर्तनों की पूजा कर बच्चों को खेलने के लिए दिया जाता है,जिससे बच्चे अनजाने ही अपनी मिट्टी और उसके सरोकारों से जुड़ते हैं।

लोगो में बैल के सर को कौड़ी से तथा गर्दन को स्थानीय प्रचलित घंटी से सजाया गया है। चित्रयवनिका (tapestry ) को  मिट्टी से बने पोला बैल,

आदिवासी पारम्परिक लोकनृत्य , बस्तर कला और शिल्प तथा यहाँ की बहुत महत्वपूर्ण लघु वन उपज महुआ से सुसज्जित किया गया है।

रंगोली के दाईं ओर राज्य पशु वनभैसा है। छत्तीसगढ़ के दुर्लभ एवं संकटग्रस्त वन्य जीवों में वन भैसा प्रमुख है। राज्य इसके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

रंगोली और पोला बैल / वनभैसा के बीच का फूल राज्य फूल कोपु (राइनोकोस्टी जाइगैंटिआ )है। यह दुनिया के सबसे सुंदर फूलों में से एक है।

सबसे नीचे कनेक्टिंग लाइन को तेंदू पत्ता से सजाया गया है।

तेंदूपत्ता और महुआ राज्य में दो मुख्य लघु वन उपज और आय के प्रमुख स्रोत हैं। आदिवासी अंचलों में वनोपज का व्यवसाय वहां रह रहे लोगों को सिर उठाकर जीने का अवसर देता है। रोजगार के अवसरों में वृद्धि के साथ, यह राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। छत्तीसगढ़ में वन आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है। यह छत्तीसगढ़ की समृद्धि की रीढ़ है।