2 महीने से एक टापू पर भूखे फंसे थे 100 से ज्यादा बंदर, 6 दिन चला रेस्क्यू मिशन मंकी ऑपरेशन

कांकेर (एजेंसी) | दुधावा बांध के बीच टापू पर फंसे बंदरों को बचाने के लिए वन विभाग की ओर से पिछले छह दिनों से मिशन मंकी अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान टापू तक बांस से 500 मीटर का अस्थायी पुल बनाया गया। छठवें दिन गुरुवार को तड़के कुछ ग्रामीणों ने बंदरों को बांस के पुल पर देखा। इसके बाद करीब 40 बंदर दो गुटों में बाहर निकले। इस दौरान पूरे इलाके को ब्लाक करके रखा था। वन विभाग के अनुसार बाकी बचे बंदर भी जल्द ही बाहर आ जाएंगे।

दुधावा बांध के बीच टापू पर फंसे बंदरों को बाहर निकालने के लिए वन विभाग ने टापू तक 500 मीटर तक चैली वाला पुल तैयार कर लिया है। जगह-जगह चैली में बंदरों को निकालने फल टांगे गए हैं। इसके अलावा बांध में पानी कम करने के लिए सिंचाई विभाग ने गेट भी खोल दिए हैं। वन विभाग टापू पर फंसे सौ से ज्यादा बंदरों को बाहर निकालने के लिए मिशन मंकी चला रहा है। मिशन में मंगलवार तक विभाग ने टापू से बांध के बाहर तक बांस की चैली तैयार कर ली है।

इसके साथ ही सुबह से वहां आने-जाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। बंदरों को टापू से बाहर लाने के लिए चैली में जगह-जगह फल बांधे गए हैं। इस दौरान पूरे समय लोगों का वहां आना-जाना बंद करा दिया गया और स्वयं वनविभाग के कर्मचारी भी रास्ता ब्लॉक कर चैली से काफी दूर बैठे रहे।

4 दिन से चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

दरअसल, वन विभाग पिछले 4 दिनों से टापू पर फंसे बंदरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा था. इसके लिए बांध के किनारे से टापू तक लकड़ी का अस्थाई पुल बनाया गया था, जिस पर फल लटकाए गए थे, ताकि लालच देकर बंदरों को इस अस्थाई पुल के जरिए बाहर निकाला जा सके, लेकिन वन विभाग का ये प्लान फेल हो गया और बंदर बाहर नहीं आए।

500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया

वन विभाग का ये प्लान फेल होने के बाद अब जल संसाधन विभाग ने डैम से 500 क्यूसेक पानी छोड़ा है, लेकिन बांध में पानी काफी ज्यादा है और 500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद भी जल स्तर ज्यादा घटने की उम्मीद नहीं है और ऐसे में बंदर टापू से बाहर नहीं निकलेंगे. वहीं इससे ज्यादा पानी छोड़ा जाता है तो इसका नुकसान किसानों को भी हो सकता है

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