रायपुर (एजेंसी) | पहली बार राज्य के आदिवासी क्षेत्रों की विशेषता को ध्यान में रखकर सरकार ने 2474 करोड़ का प्लान तैयार किया है। इसके अंतर्गत जशपुर में 100 एकड़ में चाय-कॉफी प्रोसेसिंग सेंटर, कोंडागांव में मक्का और सूरजपुर व गरियाबंद में 32 करोड़ खर्च कर कोटो-कुटकी प्रोसेसिंग सेंटर लगाए जाएंगे। मुख्य सचिव सुनील कुजूर की अध्यक्षता में अनुसूचित जनजाति उपयोजना समिति की बैठक में इसका खाका तैयार कर लिया गया है। इसे केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय को भेजा जाएगा।
राज्य के उत्तरी व दक्षिणी हिस्से की जलवायु विविधता के साथ-साथ कई खास किस्म के उत्पादों के लिए भी बेहतर है। जैसे जशपुर में चाय की खेती की जा रही है। जशपुर और बस्तर में काजू का उत्पादन होता है। इसे ध्यान में रखकर इन क्षेत्रों के विकास के लिए प्लान तैयार किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इन क्षेत्रों में प्रोसेसिंग सेंटर के साथ-साथ बस्तर संभाग में भवन विहीन व जर्जर आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण और मरम्मत, आश्रम शालाओं में कम्प्यूटर प्रशिक्षण, भवन विहीन अस्पतालों के लिए बिल्डिंग, पीने के पानी का इंतजाम, विद्युतीकरण, कृषकों की पड़त भूमि में कॉफी रोपण, सिंचाई परियोजनाओं के जीर्णोद्धार और उन्नयन के प्रस्ताव शामिल किए गए हैं। कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के हिसाब से यह प्लानिंग की गई है। इन योजनाओं के केंद्र में आदिवासी पर्यटन विकास, पोषण और स्वावलंबन वाटिका की स्थापना, सामूहिक फल उत्पादन प्रक्षेत्र निर्माण भी शामिल किए गए हैं।
बदल जाएगी इन क्षेत्रों की तस्वीर
मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों को क्षेत्र की विशेषता के साथ-साथ बाजार पर भी फोकस करने कहा है। इस पूरी कवायद का उद्देश्य आदिवासी क्षेत्र के लोगों को आधुनिक खेती से जोड़ने और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने पर है। अधिकारियों का दावा है कि इस योजना पर काम पूरा होने से पिछड़े क्षेत्रों की तस्वीर बदल जाएगी।