दिल्ली में तीसरी बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनने जा रही है. इस बार भी पिछले चुनाव की तरह आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है। केजरीवाल लगातार दूसरी बार 88 % से ज्यादा सीट(70 में से 62 सीट AAP ,8 सीट BJP ) जीतने वाले बड़े राज्य के पहले नेता है। जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों को I Love You कहा।
अरविंद केजरीवाल ने ये भी कहा कि ये सिर्फ दिल्ली वालों की नहीं, भारत माता की जीत है। दिल्ली की जनता ने साफ संदेश दिया है कि वोट उसी को मिलेगा जो लोगों के लिए काम करेगा, दिल से काम करेगा और उनकी जरूरतों के लिए काम करेगा।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्लीवालों ने एक नई राजनीति को जन्म दिया है ‘काम की राजनीति’. ये देश के लिए बहुत शुभ संकेत है. मैं आप के सभी कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि उन्होंने पूरे मन से पार्टी को जिताने के लिए काम किया। दिल्ली वालों ने गजब कर दिया।
आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हो गई है। उनके जीत के चार मुख्य मंत्र सामने उभर कर आ रहे है
1 . केजरीवाल ही चेहरा
केजरीवाल के खिलाफ न तो बीजेपी के पास कोई चेहरा था और न ही कांग्रेस के पास. केजरीवाल का विकल्प न होना – आम आदमी पार्टी के लिए वरदान साबित हुआ।
केजरीवाल ने चुनाव प्रचार में कोई बड़ी रैली नहीं की. छोटे-छोटे रोड शो किया, नुक्कड़ सभाएं की. हर विधानसभा में उन्होंने अपना पूरा वक्त़ दिया. आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारक भी वही थे, रणनीतिकार भी, मुख्यमंत्री का चेहरा भी, पार्टी के संयोजक भी और कार्यकर्ता भी।
2 . काम को बनाया आधार
आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले अपना रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए अपने काम गिनाए. इसी पर उन्होंने अपना नारा भी बुलंद किया, ‘मेरा वोट काम को,सीधे केजरीवाल को’
पिछले दिनों जितने भी टीवी चैनल पर अरविंद केजरीवाल ने इंटरव्यू दिए, उन्होंने शुरूआत इसी बात से की – दिल्ली में आम आदमी पार्टी को काम पर वोट करो, अगर हमने काम नहीं किया तो वोट मत करो.
3 . विधायकों के टिकट काटे
2015 में 70 में से 67 सीट जीतने के बाद भी इस बार आम आदमी पार्टी ने 15 विधायकों के टिकट काटे. उसमें से कई सीटों पर तो उनके जीते हुए विधायक थे, जो बाग़ी हो गए थे, जैसे कपिल मिश्रा, अलका लांबा.
पार्टी का कहना है ‘दिल्ली के सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए एक अंदरूनी सर्वे के आधार पर यह फ़ैसला किया गया है’. ये बताता है कि पार्टी ने अपने इंटरनल इंटेलिजेन्स का खूब इस्तेमाल किया. कुछ एक सीटों पर बाग़ियों ने अच्छी टक्कर दी लेकिन जीत दर्ज नहीं करा पाए. अलका लांबा तो बुरी तरह हारीं और कपिल मिश्रा भी.
4 . प्रशांत किशोर की रणनीति
‘केजरीवाल फिर से’
‘दिल्ली में तो केजरीवाल’
‘आई लव केजरीवाल’
‘अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल’
‘मेरा वोट काम को, सीधे केजरीवाल को’
पिछले दो-तीन महीने के चुनावी कैंपेन में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में केवल एक नारा नहीं दिया।
मुद्दों और विपक्ष के हमले को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग समय पर अलग-अलग स्लोगन देखने को मिले. इन सबके पीछे जो दिमाग काम कर रहा था वो था प्रशांत किशोर का।
चुनाव से ठीक पहले, दिसंबर में अरविंद केजरीवाल ने प्रशांत किशोर की कंपनी IPAC के साथ हाथ मिलाया।