बजट 2020 : कौन सी टैक्स प्रणाली अपनाये , नयी या पुरानी

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपना दूसरा आम बजट पेश करते हुए एक नई आयकर प्रणाली की घोषणा की. उन्होंने कहा कि वो आयकर दाता जो इस नई प्रणाली का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें 100 छूटों में से 70 को छोड़ना होगा.

नई आयकर प्रणाली में कोई अगर 5-7.5 लाख रुपये सालाना कमाता है तो उसे 20 फ़ीसदी की जगह केवल 10 फ़ीसदी टैक्स देना होगा. 7.5-10 लाख रुपये सालाना कमाने वाले शख़्स को 20 फ़ीसदी की जगह सिर्फ़ 15 फ़ीसदी टैक्स देना होगा.जिनकी सालाना आय 10-12.5 लाख रुपये है, वो 30 की जगह 20 फ़ीसदी टैक्स देंगे और जो 15 लाख से अधिक कमा रहे हैं उन्हें वर्तमान दर से 30 फ़ीसदी टैक्स देना होगा.नई टैक्स प्रणाली में पांच लाख रुपये सालाना कमाने वालों के लिए कोई बदलाव नहीं है. उनकी आय टैक्स फ़्री रहेगी.

वित्त मंत्री अपने बजट भाषण में जब इस आयकर प्रणाली की घोषणा कर रही थीं तब उन्होंने साफ़ किया कि यह इसलिए किया जा रहा है ताकि आम लोग इसे समझ सकें और उनको टैक्स रिटर्न भरते समय पेशेवर लोगों की मदद न लेनी पड़े.

ढाई घंटे लंबे बजट भाषण में 132 बार ‘टैक्स’ शब्द का इस्तेमाल किया गया.

नई टैक्स प्रणाली वैकल्पिक होगी और करदाताओं के पास विकल्प होगा कि वो पुरानी वाली प्रणाली के साथ जाना चाहते हैं या नई वाली के साथ. पुरानी वाली प्रणाली में आपको छूट और कटौती पहले की तरह ही मिलती रहेगी.

नई टैक्स प्रणाली और पुरानी टैक्स प्रणाली को लेकर किए गए गुणा-भाग के बाद कई टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि लंबे समय के लिए पुरानी टैक्स प्रणाली ही ठीक है.विशेषज्ञों का मानना है कि नई टैक्स प्रणाली अधिक पेचीदा है और यह लोगों के हाथों में ज़रूरी पैसा नहीं छोड़ेगा.

एमके ग्लोबल फ़ाइनैंशियल सर्विसेज़ के मैनेजिंग डाइरेक्टर कृष्ण कुमार कारवे कहते हैं कि नई टैक्स प्रणाली युवा भारतीयों को भविष्य के लिए पैसा बचाने के लिए प्रेरित नहीं करेगा.

नई प्रणाली में कितना बनेगा टैक्स?

मनीएडूस्कूल के संस्थापक और टैक्स एक्सपर्ट अर्णव पांड्या का मानना है कि ‘वो अधिकतर लोग जो इन कटौतियों का लाभ लेते हैं, उन्हें लगेगा कि नई टैक्स प्रणाली में उन्हें अधिक टैक्स देना होगा. उनके पास इसका चयन करने की उम्मीद कम है.”

एक उदाहरण के रूप में इसे हम समझते हैं कि अगर आपकी सालाना आय आठ लाख रुपये है तो आपका पुरानी टैक्स प्रणाली के तहत 39000 रुपये टैक्स बनता है और अगर आप नई टैक्स प्रणाली के साथ जाते हैं तो आपको 46000 रुपये टैक्स देना होगा. यानी नई प्रणाली में 7000 रुपये अधिक टैक्स देना होगा.

अगर आपकी सालान आय 15 लाख रुपये है तो पुरानी टैक्स प्रणाली के तहत आपको 1,56,000 रुपये टैक्स देना होगा और नई प्रणाली के तहत 1,95,000. यानी नई प्रणाली में आप 39000 रुपये ज़्यादा टैक्स देंगे.

नई टैक्स प्रणाली में आपको किन टैक्स छूटों को छोड़ना होगा?

सेक्शन 80सी (पीएफ़, नेशनल पेंशन सिस्टम, जीवन बीमा प्रीमियम में निवेश पर छूट है)

-सेक्शन 80डी (मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम, हाउसिंग रेंट अलाउंस पर टैक्स की दरों में बदलाव और हाउसिंग लोन पर इंटरेस्ट देना)

-सेक्शन 80ई के तहत एजुकेशन लोन में दिए जाने वाले इंटरेस्ट पर टैक्स में छूट नहीं ली जा सकती.

-चार सालों में दो बार कर्मचारी को मिलने वाला लीव ट्रेवल अलाउंस.

-चैरिटेबस संस्थानों को सेक्शन 80जी के तहत दिए जाने वाले दान पर मिलने वाली टैक्स छूट.

-विकलांग और धर्मार्थ दान पर मिलने वाली टैक्स छूट.

-वेतनभोगी करदाताओं को वर्तमान में मिलने वाली 50000 रुपये की मानक छूट.

-सेक्शन 16 के तहत मनोरंजन भत्ते और रोज़गार/पेशेवर कर में छूट.

-पारिवारिक पेंशन के लिए 15000 रुपये तक मिलने वाली छूट.

हालांकि, अभी तक यह साफ़ नहीं है कि नए व्यक्तिगत कर प्रणाली में अधिकांश को पर्याप्त कर बचत का लाभ मिलेगा या नहीं. यह भी सवाल उठ रहे हैं कि यह वित्तीय बचत और भविष्य की सुरक्षा के लिए किस तरह से प्रेरित करता है. जैसा की पुरानी प्रणाली में पीएफ़, मेडिकल इंश्योरेंस और पेंशन स्कीम में निवेश करने से छूट मिलती थी.

इसके साथ ही सेक्शन 80सीसीडी (पेंशन स्कीम में नियोक्ता की ओर से कर्मचारी के खाते में दिए जाने वाली राशि) के सब-सेक्शन (2) और सेक्शन 80जेजेएए (नए रोज़गार के लिए) में छूट के लिए अभी भी दावा किया जा सकता है.

क्लियर टैक्स के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता कहते हैं, “नई प्रणाली सभी छूट और कटौतियों को हटाने के लिए एक रोडमैप की ओर बढ़ रही है. वो करदाता जो अधिक से अधिक टैक्स का लाभ लेना चाहते हैं, यह नई प्रणाली पीछे की ओर ले जाने वाली है और करदाता टैक्स भरने की पुरानी परंपरा को अपनाएंगे.”

वो कहते हैं, “नई टैक्स प्रणाली में शायद कम काग़ज़ी काम हो और यह कई करदाताओं के लिए स्वीकार्य हो लेकिन वो उसी का लाभ लेंगे जिससे उन्हें टैक्स में अधिक छूट मिल रही हो. एक दूसरा नकारात्मक पक्ष यह है कि सरकार को नई कटौतियों के बारे में सोचना चाहिए था क्योंकि पुरानी निरर्थक हो चुकी हैं.”

80सी के वैकल्पिक होने से लोग पीपीएफ़/ईपीएफ़ में निवेश करना छोड़ सकते हैं और लंबे समय तक अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छा नहीं है.

सरकार का यह भी साफ़ संकेत है कि वो पीपीएफ़ पर टैक्स फ़्री इंटरेस्ट देने के पक्ष में नहीं है और सभी करदाताओं को नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) की ओर ले जाना चाहती है.

यहां तक कि शनिवार होने के बावजूद भी बजट वाले दिन स्टॉक मार्केट खुला और वित्त मंत्री के भाषण के साथ धड़ाम हो गया. बीएसई 2.43 फ़ीसदी तक गिर गया जिसका अर्थ है कि बाज़ार को बजट पंसद नहीं आया.

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