नई दिल्ली (एजेंसी) | अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार शाम राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि दशकों तक चली न्याय प्रक्रिया आज खत्म हुई। इससे दुनिया को हमारे जीवंत लोकतंत्र के बारे में पता चला है। अयोध्या के फैसले को देश ने खुले दिल से स्वीकार किया। यह विविधता में हमारी एकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर ट्रस्ट के जरिए मंदिर बनाने और मस्जिद के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है।
इससे पहले मोदी ने ट्वीट किया था कि फैसले को किसी की हार या जीत के लिहाज से न देखा जाए। न्याय के मंदिर ने दशकों साल पुराने विवाद को सुलझा दिया है। सभी नागरिकों को राष्ट्र भक्ति की भावना को बनाए रखने पर बल देना चाहिए। मोदी ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण मामले पर फैसला सुनाया, जिसके पीछे सैकड़ों साल का दीर्घकालीन इतिहास है। पूरे देश की यह इच्छा थी कि इस मामले की अदालत में हर रोज सुनवाई हो। यह हुआ और आज निर्णय आ चुका है। दशकों तक चली न्याय प्रक्रिया का समापन हुआ। दुनिया यह तो मानती है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आज दुनिया ने जान लिया है कि हमारा लोकतंंत्र कितना जीवंत और मजबूत है।”
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2019
”फैसला आने के बाद जिस तरह हर वर्ग, समुदाय, पंथ और देश ने इसे खुले दिल से स्वीकार किया। वह भारत की पुरातन संस्कृति और सद्भाव की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। विविधता में एकता, आज यह मंत्र अपनी पूर्णता के साथ खिला हुआ नजर आता है। हजारों साल बाद भी विविधता में एकता के भारत के प्राण तत्व को समझना होगा तो वह आज के ऐतिहासिक दिन और घटना का जरूर जिक्र करेगा। यह घटना इतिहास के पन्नों से उठाई हुई नहीं है, 125 करोड़ देशवासी आज इतिहास में खुद नया पन्ना जोड़ रहे हैं।”
‘सुप्रीम कोर्ट ने फैसले से दृढ़ इच्छाशक्ति के दर्शन कराए’
मोदी ने कहा, ”न्यायपालिका के लिए भी यह ऐतिहासिक दिन है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी को बहुत धैर्य से सुना। खुशी की बात है कि फैसला सर्वसम्मति से आया। एक नागरिक के नाते हम जानते हैं कि परिवार में भी छोटा मसला सुलझाना हो तो कितनी दिक्कत आती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति के दर्शन कराए।
आज 9 नवंबर है और इसी दिन बर्लिन की दीवार गिरी थी और दो विचारधाराएं साथ मिली थीं। आज करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ। अयोध्या पर फैसले के साथ ही यह तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे रही है। यह दिन जोड़ने, जुड़ने और मिलकर जीने का है। कहीं किसी के मन में कटुता रही हो तो आज उसे तिलांजलि देने का दिन है। नए भारत में भय, कटुता, नकारात्मकता का स्थान नहीं होना चाहिए।”
‘कठिन मसले का हल भी कानून के दायरे में ही आता है’
प्रधानमंत्री ने कहा कि अदालत के फैसले ने संदेश दिया है कि कठिन से कठिन मसले का हल संविधान और कानून के दायरे में आता है। हमें इस फैसले से सीख लेनी चाहिए कि भले ही कुछ समय लगे, लेकिन फिर भी धैर्य बनाकर रखना ही उचित है। हर परिस्थिति में भारत के संविधान, न्यायिक प्रणाली और हमारी महान परंपरा पर हमारा विश्वास अडिग रहे। फैसला सबके लिए नया सवेरा लेकर आया।
इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो, लेकिन फैसले के बाद हमें यह संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी। हमें अपना विश्वास और विकास इस बात से तय करना है कि मेरे साथ चलने वाला कहीं पीछे तो नहीं छूट रहा है। हमें सबको साथ लेकर, सबका विकास करते हुए, सबका विश्वास हासिल करते हुए आगे बढ़ते जाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण का फैसला दिया है। इससे अब हर नागरिक पर राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी बन गई है। एक नागरिक के तौर पर न्यायिक प्रक्रिया का पालन और नियम, कानूनों का पालन करने का दायित्व भी बढ़ गया है। हर भारतीय को अपने कर्तव्य और दायित्वों को प्राथमिकता देते हुए काम करना हमारे भविष्य के लिए ज