रायपुर | केंद्रीय बजट में छत्तीसगढ़ को ज्यादा कुछ नहीं मिला, लेकिन कृषि उड़ान योजना और किसान रेल जैसी योजनाएं कृषि आधारित प्रदेेश में किसानों के उत्पादों को नया जीवन देने वाली होंगी। किसान उड़ान योजना से जहां कृषि उत्पादों को इंटरनेशनल मार्केट मिलेगा, वहीं किसान रेल के माध्यम से खराब होने वाले उत्पादों को सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जा सकेगा। हालांकि केंद्र सरकार प्रवर्तित योजनाओं में छत्तीसगढ़ को इस बजट में भी 17 हजार करोड़ रुपए की मदद का प्रावधान किया गया है। हाल ही में सीएम भूपेश बघेल ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने छत्तीसगढ़ में इंटरनेशनल कार्गो फ्लाइट की मांग रखी थी।
माना जा रहा है कि सीएम बघेल की यह मांग कृषि उड़ान योजना के साथ पूरी होने वाली है। क्योंकि इस योजना से प्रदेश के कृषि उत्पादों को आसानी से इंटरनेशनल मार्केट उपलब्ध कराया जा सकेगा। इसी तरह चारागाह को विकसित करने के लिए इसे मनरेगा से जोड़ने की पहल की जा रही है। इसे छत्तीसगढ़ सरकार के गौठान योजना की सफलता मानी जा रही है।
केंद्रीय योजनाओं में नहीं बढ़ा फंड
राज्य के आकांक्षी जिलों में परीक्षा केन्द्रों की स्थापना की जाएगी, ताकि वहां के बच्चों को वहीं परीक्षा देने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। जहां तक केंद्र प्रवर्तित योजनाओ का सवाल है, इसमें फंड लगभग उतना ही मिलेगा जितना पिछले साल दिया गया था। इनमें जलशक्ति योजना, पीएमजीएसवाय, उज्जवला गैस, मनरेगा, आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं शामिल हैं। अकेले मनरेगा में ही 5 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। इनमें करों के रूप में राज्य को दिया जाने वाला हिस्सा अलग है, वह पूर्ववत मिलता रहेगा। यह करीब 8 हजार करोड़ रुपए है।
उच्च शिक्षा में बड़ी मदद के संकेत
केंद्र सरकार ने इस बजट में उच्च शिक्षा के लिए 99 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा है। प्रदेश में AIIMS, IIT, IIM, IIIT जैसे संस्थान आ चुके हैं, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि उच्च शिक्षा के लिए प्रदेश को अलग से फंड मिल सकता है। इससे इन संस्थानों के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने में मदद मिलेगी। इसी फंड से एम्स का नवा रायपुर में दूसरा संस्थान भी शुरू किया जा सकता है
अब 10 ट्रेनें पीपीपी मोड पर चलेंगी धार्मिक शहरों के लिए सीधी ट्रेनें भी
प्रदेश में रेल कॉरिडोर को पीपीपी मोड के तहत बनाने का काम होगा। वर्तमान में खरसिया से धरमजयगढ़ तक 70 किमी रेल लाइन को पीपीपी मोड पर बनाया जा रहा है। करीब 3 हजार करोड़ रुपए की लागत से बन रही गेवरारोड से पेंड्रा तक 130 किमी की रेल लाइन को भी इसी फॉर्मूले पर बनाने की तैयारी है। इसके लिए रेलवे पैसा नहीं देगा, बल्कि प्राइवेट निवेशक रेल लाइन बिछाने में पैसा खर्च करेंगे। इसी तरह देशभर में 150 ट्रेनों को भी पीपीपी पर चलाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
जोन व मंडल के रेल अफसरों के मुताबिक रायपुर-बिलासपुर-दुर्ग से गुजरने वाली 10 से अधिक ट्रेनें पीपीपी मोड पर चलेंगी। इसके अलावा प्रदेश के लोगों को धार्मिक शहरों तक पहुंचने के लिए विशेष ट्रेनों की सुविधा मिलेगी। पर्यटन वाले शहरों के लिए तेजस जैसी ट्रेनें चलाई जाएंगी। रायपुर, दुर्ग व बिलासपुर से 20 से अधिक स्पेशल ट्रेनें धार्मिक शहरों को जोड़ने के लिए चलाई जाएंगी।