सूर्य हुए उत्तरायण, धनु से मकर राशि में किया प्रवेश – मकर सक्रांति, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

इस बार मकर सक्रांति की तिथि को लेकर संशय बना है . ज्योतिषियों के मुताबिक मकर सक्रांति इस बार 15 जनवरी को पड़ेगी

मकर सक्रांति का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है।इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।माना जाता है क‍ि मकर संक्रांति के दिन ही भगीरथ के आग्रह और तप से प्रभाव‍ित होकर गंगा उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंची और वहां से होते हुए वह समुद्र में जा म‍िली थीं यही वहज है क‍ि इस द‍िन गंगा स्‍नान का खास महत्‍व है मकर संक्रांत‍ि के दिन से ही प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होती है जहां लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाते हैंऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था।कहा यह भी जाता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा करते हुए सभी असुरों के सिर को मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता के अंत का दिन भी माना जाता है।

 

Image result for makar sankranti scientific significance IN HINDI

 

मकर सक्रांति का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी हैइस दिन से सूर्य दक्षिण की सीमा को समाप्त करके उत्तर की और बढ़ने लगता हैउत्तर की सीमा में सूर्य दाखिल होते ही प्रकाश को बढ़ा देता है.इस दौरान सूर्य की किरणे भी पृथ्वी पर सीधी हो जाती है सीधी किरणे होने के कारन गर्मी भी बढ़ने लगाती है और ठण्ड कम होने लगाती है। मकर संक्रांति के बाद जो सबसे पहले बदलाव आता है वह है दिन का लंबा होना और रातें छोटी होनी लगती हैं। रात छोटी और दिन बड़े होने से रौशनी अधिक और अन्धकार कम होता है। इससे मनुष्य की कार्य क्षमता  वृद्धि होती है।प्रकाश में वृद्धि के कारण मनुष्य के शक्ति में वृद्धि होती है।मानव प्रगति की ओर अग्रसर होता है।
 इस अवधि में सभी नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इस क्रिया को अनेक प्रकार  की बीमारियों को दूर करने में सहायक माना जाता है। इस दिन नदियों में स्नान आदि करने के लिए कहा जाता है, ताकि आप रोगों से दूर रहे अथवा शारीरिक रूप से आपकी दुर्बलता समाप्त हो जाये। इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाओं से लोगो को अनेक प्रकार की बीमारिया हो जाती है, इसलिए प्रसाद के रूप में खिचड़ी, तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने का प्रचलन है। तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है।साथ ही  बैक्टिरिया से भी लड़ने में मदद करती  है . इन सभी चीजों के सेवन से शरीर के अंदर गर्मी बढ़ती है। तिल में कॉपर, मैग्नीशियम, ट्राइयोफान, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और रेशे प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। एक चौथाई कप या 36 ग्राम तिल के बीज से 206 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। यह गठिया रोग के लिए अत्यंत लाभकारी है|
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति 2020  –   15 जनवरी दिन बुधवार।

संक्रांति काल  –                 14 जनवरी मध्य रात्रि के बाद ०2बजकर  7 मिनट

पुण्यकाल  –                       15 जनवरी 07:19 से 12:31 मिनट  तक ।

संक्रांति स्नान  –                 प्रात: काल, 15 जनवरी 2020 तक।

Leave a Reply