अमरीका ने 3 जनवरी को बगद़ाद हवाई अड्डे के पास ड्रोन से एक हवाई हमला कर ईरान के अल-क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को मार गिराया था. ख़ुफ़िया सूत्रों ने अमरीका मीडिया को बताया है कि ये ऑपरेशन सीधे-सीधे राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आदेश पर हुआ और इसकी पूरी तैयारी की गई थी. इराक़ में अमरीका का यह हमला हाल ही में अमरीका और ईरान के बीच बढ़े तनाव के बाद हुआ है.
जनरल क़ासिम सुलेमानी न सिर्फ़ ईरान का सबसे ताक़तवर सैन्य चेहरा थे बल्कि देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक थे. वो आयतोल्लाह ख़ामनेई के बाद दूसरे स्थान पर थे, जिन्हें वो सीधे तौर पर रिपोर्ट करते थे.मध्य पूर्व में ईरान की सैन्य ताकत और रणनीति के लिए ही नहीं वो युद्ध और शांति के मुद्दों पर ईरान के सच्चे चांसलर भी थे.
अपने सैन्य कमांडर क़ासिम सुलेमानी के अमरीकी हमले में मारे जाने के बाद ईरान ने ‘बदले’ की बात कही है. ईरान ने कहा है कि वो सही समय और सही जगह पर इसका बदला लेगा.
ईरान के सुप्रीम लीडर आयातुल्लाह ख़ामेनेई ने कड़े शब्दों में कहा है कि “अमरीका के हमले के लिए ज़िम्मेदार अपराधियों से बदला लिया जाएगा”. उन्होंने कहा कि सुलेमानी की मौत के बाद अमरीका और इसराइल के ख़िलाफ़ अधिक ताकत से लड़ेंगे.
इस पर अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा है कि अमरीका 52 ईरानी जगहों को ‘निशाना’ बना रही है और अगर ईरान किसी अमरीकी नागरिक या संपत्ति पर हमला करता है तो, उस पर ‘बहुत तेज़ी से और बहुत मज़बूती से’ हमला होगा.
अमरीका ने ऐसी 52 ईरानी जगहों को चिह्नित कर लिया है जो “काफ़ी महत्वपूर्ण हैं और ईरान और उसकी संस्कृति के लिए अहम हैं.
ट्रंप ने कहा है, “अमरीका और धमकियां नहीं चाहता है.”
अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा कि 52 लक्ष्य उन 52 अमरीकियों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें 1979 में ईरान में एक साल तक बंदी बनाकर रखा गया था.
अमरीका ने मध्यपूर्व के लिए 3000 और अमरीकी सैनिक रवाना किए हैं. साथ ही अमरीकी ने ईराक़ में मौजूद अपने नागरिकों से जल्द से जल्द बाहर निकलने के लिए कहा है.