रायपुर | प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि सरकार ने ब्रेनडेड मरीज या केडेवर बाॅडी से अंग प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) के लिए आसान नीति पर काम शुरू कर दिया है और यह जल्द लाई जा रही है। यही नहीं, किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट के लिए डोनर व रिसीवर के सामने जो भी दिक्कतें आ रही हैं, उन्हें दूर कर लिया जाएगा। प्रदेश में अभी आर्गन डोनेशन के लिए पॉलिसी है, लेकिन यह सच है कि ब्रेनडेड मरीज व केडेवर मृत आर्गन डोनेशन की पॉलिसी नहीं है।
इस पर डाॅक्टरों और अफसरों ने काम शुरू कर दिया है। मेडिकल बोर्ड में आठ सदस्य होते हैं। ट्रांसप्लांट के लिए सभी की मौजूदगी की अनिवार्यता खत्म कर कोरम सिस्टम लागू कर देंगे। इससे ट्रांसप्लांट संबंधी फाइलों में बेवजह देरी नहीं होगी। कोरम ही काउंसिलिंग पूरी कर ट्रांसप्लांट के लिए मंजूरी भी देगा।
जिस अंग के ट्रांसप्लांट की जरूरत होगी, कमेटी में उनके विशेषज्ञ की उपस्थिति भी रहेगी। इससे केस जल्दी मंजूर होगा। यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग ने केस कमेटी की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, जिससे ट्रांसप्लांट का प्रोसेस तेज होगा और डोनर व रिसीवर को कागजी प्रक्रिया में उलझाया नहीं जाएगा।
ब्रेनडेड और केडेवर बाॅडी से कई का बच सकता है जीवन
मृत व्यक्ति यानी केडेवर होने पर- दो किडनी, दो कार्निया, लंग्स, ब्लड वेशल्स, मसल्स एंड लिगामेंट, कर्टिलेजस, लीवर, बोनमेरो, स्किन, पैंक्रियाज दान किया जा सकता है। वहीं ब्रेनडेड मरीज से हार्ट निकालकर किसी जीवित व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को जयपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट कर दिया गया है।