कवर्धा. छत्तीसगढ़ के पथर्रा में सरकारी स्कूल के बच्चे खुद अपना भविष्य गढ़ रहे हैं। यहां बच्चे आत्मविश्वास को जगाने के लिए खुलकर बात करते हैं। भाषण देते हैं, वाद-विवाद और मंच का शानदार तरीके से संचालन भी करते हैं। दरअसल, प्रदेश का यह पहला यह प्राथमिक स्कूल है, जहां ओपन थियेटर है। शिक्षकों और ग्रामीणों ने सहयोग कर एक लाख रुपए से ज्यादा का चंदा जुटाया और प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर के नाम पर इसे साकार रूप दिया है। इस ओपन थियेटर में बच्चों को हर दिन बोलने का मौका मिलता है।
दरअसल, वर्ष 2016 में ग्रामीणों और शिक्षकों ने स्कूल के विकास को लेकर विशेष पहल की। सबसे पहले बच्चों को स्कूल की ओर आकर्षित करने रंग-रोगन किया गया। इसके बाद हबीब तनवीर के नाम से ओपन थियेटर बनाया। ग्रामीण दानेश्वर परिहार, रज्जू पाली, शिवकुमार यादव ने बताया कि किसी भी स्कूल में बना प्रदेश का यह पहला ओपन थियेटर है। कक्षा 1 से लेकर 5वीं तक के बच्चे कुछ भी कहने से हिचकिचाते हैं। उनके संकोच को दूर करने के लिए ओपन थियेटर बनाया गया।
शिक्षक रोहित साहू, भागवत साहू, सुनील चन्द्रवंशी ने बताया कि स्कूल के कार्य को देखते हुए 2016 से लेकर अब तक जिले में जितने भी कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ आए हैं, उन्होंने स्कूल का दौरा किया है। स्कूल की स्थिति को देखते हुए यहां के बच्चों के लिए अलग से यूनिफॉर्म तैयार किया गया। आमतौर पर सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए नीले रंग की यूनिफॉर्म होती है, लेकिन यहां बच्चों को पीले-चेक रंग में यूनिफॉर्म दिया गया है। खास बात यह है कि सभी बच्चों के लिए ग्राम पंचायत ने मदद भी की है।
सोशल मीडिया पर एक्टिव, स्कूल का वेबसाइट भी : स्कूल के कार्य को देख दूसरे भी कर सकें, इसे लेकर शिक्षकों ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आईडी बनाया है। फेसबुक में इनके पेज को दो हजार से अधिक लोग फॉलो करते है। इसके साथ ही इस सरकारी स्कूल का खुद का वेबसाइट primaryschoolpathr.wixsite.com/pspatharra भी है। जहां हर गतिविधि का अपलोड किया जाता है।
खुद का किचन गार्डन, सब्जी लेने की जरूरत नहीं : बच्चों को शुरू से कृषि के क्षेत्र में जोड़ने के लिए ग्रामीण व शिक्षकों ने स्कूल परिसर में ही किचन गार्डन तैयार किया है। इसमें बच्चों व शिक्षकों द्वारा जैविक खेती कर सब्जी उगाई जाती है। इसका उपयोग स्कूल के मध्याह्न भोजन के लिए किया जाता है। खास बात यह है कि इसे ग्रामीणों के मदद से तैयार किया गया।
स्वच्छता का विशेष ध्यान : ग्रामीण राजू विश्वकर्मा, लल्लू पाली ने बताया कि स्कूल में बच्चे तभी आते है, जब उन्हें प्राइवेट स्कूल जैसा माहौल मिले। इसे देखते हुए स्कूल में रंग-रोगन किया गया। इस काम के लिए रुपए की जरूरत पढ़ी तो शिक्षकों ने भी मदद किया। पूरे परिसर में गंदगी न हो, इसे लेकर बाउंड्रीवॉल बनाया गया है। आज स्वच्छता और रंग-रोगन के कारण बच्चे प्रतिदिन स्कूल आ रहे हैं।
प्रधान पाठक शिव चंद्रवंशी का कहना है कि स्कूल में 83 बच्चे हैं। थियेटर का लाभ सभी बच्चों को मिल रहा है। प्रतिदिन इस थियेटर में एक बच्चे को छत्तीसगढ़ी, सामान्य ज्ञान समेत अन्य विषय पर बाेलने का मौका दिया जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों के अभिव्यक्ति के विकास को बढ़ाना है। जिस हबीब तनवीर के नाम से ओपन थियेटर बनाया गया है, वे इसी राज्य के प्रसिद्ध रंगकर्मी और निदेशक हैं।